मेरे अंदर एक ऐसी जगह है,
जहाँ आँसू और खुशियाँ आपस
में लिपटे रहते हैं,
कोई मानता नहीं, के ऐसी भी
जगहें होती हैं,
जहाँ आंसुओं में ख़ुशी खिलती है,
घुलती-मिलती है,
इस तरह दोनों रहते हैं,
जैसे जुड़वाँ बच्चे हों,
आपस में खेलते रहते हैं,
शक्लें इतनी मिलती हैं,
के लोग-तो-लोग,
माँ भी कभी धोखा खा जाती है,
और ख़ुशी को आंसुओं के नाम
से बुला देती है....
© मनन शील।
जहाँ आँसू और खुशियाँ आपस
में लिपटे रहते हैं,
कोई मानता नहीं, के ऐसी भी
जगहें होती हैं,
जहाँ आंसुओं में ख़ुशी खिलती है,
घुलती-मिलती है,
इस तरह दोनों रहते हैं,
जैसे जुड़वाँ बच्चे हों,
आपस में खेलते रहते हैं,
शक्लें इतनी मिलती हैं,
के लोग-तो-लोग,
माँ भी कभी धोखा खा जाती है,
और ख़ुशी को आंसुओं के नाम
से बुला देती है....
© मनन शील।
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