Tuesday, 20 October 2020

प्रकृति का प्रेम से जन्म...





बस एक बार

एक शब्द बोला गया था,

शब्द क्या था, 

खिलते आंसुओं से 

गला भर आया था

परमात्मा का,

कुछ आवाज़ निकली,

प्रेम से लिबड़ी हुई,

देहाती, पर मधुर,

अति मधुर, इतनी मधुर 

के बस बहुत मधुर!

बस वही मधुर आवाज़ 

प्रकृति बन गयी...


© मनन शील।