Thursday, 21 May 2020

वह ही है

मीठी सी लय में ,
हलकी सी ठंडी हवा में,
पेड़ों के झूमने में,
सरल सी मधुर कविता में,
न चुभने वाले शब्दों में,
सूक्ष्म सी एक समझ में,
किसी अपने को जानने में,
किसी गम की सहज
स्वीकृति में,
मिलन के आँसुओं में,
इन सब में वह ही है,
तुम हाथ बढ़ाओ, तो पा लो...

हाँ, और उबलते हुए
खून में,
तूफ़ान आँधी में,
बगा के शोलों में,
बिछड़न के
गरम आँसुओं में,
विरह की मीठी आग में,
विचारों के अंत में,
भी वह ही है,
तुम गलत को काट दो,
और उसे पा लो...

© मनन शील।